कारवाँ बनता गया
"कारवाँ बनता गया" आलेख भाषाघर पत्रिका में प्रकाशित एक महत्वपूर्ण रचना है, जिसमें विजय तेंदुलकर, गिरीश कर्नाड और हजारीप्रसाद द्विवेदी के साहित्यिक योगदान के आलोक में भारतीय नाट्य परंपरा के विकास और सामाजिक संदर्भों में उसके विस्तार की गहन समीक्षा प्रस्तुत की गई है।
शोध आलेख
उज्जवल कुमार सिंह
3/31/2023