कहे दरिया दिल देखिए, गहो प्रेम निर्बान

'भावक' त्रैमासिक पत्रिका का यह अंक (अप्रैल-जून 2024) भारतीय साहित्य, संस्कृति और समकालीन विमर्शों को समर्पित एक समृद्ध और बहुपठनीय प्रयास है। इसमें दलित चेतना, नवजागरण, भाषा विमर्श, साहित्यिक आलोचना और सामाजिक चिंतन से जुड़े लेखकों की विविध दृष्टियों को समाहित किया गया है, जो पाठकों को विचारशीलता और आत्ममंथन के लिए प्रेरित करते हैं।

शोध आलेख

प्रो. निरंजन सहाय, उज्जवल कुमार सिंह

7/24/2025